Monday, July 3, 2017

ज़िन्दगी कुछ तो बता इस बेइमानी की वजह

2122-2122-2122-212
ज़िन्दगी कुछ तो बता इस बेइमानी की वजह
क्यों हैं अब भी ख्वाब महके रातरानी की वजह

फिर नहीं हम रूबरू हो पाये, दोस्तों की तरह
है बनी जबसे ये हसरत, ज़िन्दगानी की वजह

आपने दो गज़ की दूरी पे हमे रक्खा सनम
ढूँढते ही रह गये हम, सावधानी की वजह

जब मिला, उलझा हुआ, हमको मिला, आशिक मेरा
कोय तो हमको बताओ, इस कहानी की वजह

इस गज़ल में राबता हमसे बना है इसलिये
शेर में गर मैं ऊला हूँ, तुम हो सानी की वजह

ज़ुल्म जो हमपर किये सब मुस्करा कर के किये
अब चलो हमको बतादो महरबानी की वजह

दर्द में हसने की आदत है हमें उस दिन से ही
फकत गर तुम समझ पाओ बदगुमानी की वजह

- सूफी बेनाम


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