Monday, July 3, 2017

वेसाक पूर्णिमा

वेसाक पूर्णिमा

ज़रा छत पे आओ
मैं कुछ देर
चाँद की गोलाइयों को
उतारकर
तुम्हारे जिस्म पे रेंगूं
मद से लदा हुआ हूँ
आज चांदनी में
घुला हुआ हूँ।


~ सूफ़ी





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